बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 6
व्यक्तित्व का आकलन
(Assessment of Personality)
प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के प्रकार तथा गुण-दोष बताइए।
सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. प्रक्षेपी प्रविधियों के प्रकार बताइए।
उत्तर -
प्रक्षेपी प्रविधियों को सुविधा तथा सरलता की दृष्टि से अनेक भागों में बाँटा गया है -
(1) शब्द साहचर्य परीक्षण,
(ii) निश्चित साहचर्य परीक्षण,
(iii) नियन्त्रित साहचर्य परीक्षण,
(2) चित्र साहचर्य परीक्षण,
(3) खेल परीक्षण,
(4) अन्तरचेतना का ज्ञान परीक्षण,
(5) मौखिक प्रक्षेपण परीक्षण,
(6) स्याही प्रक्षेपण परीक्षण,
(7) रोशार्क परीक्षण।
लिण्डजे (Lindzey) ने पाँच प्रकार की प्रक्षेपी विधियों को बताया-
(क) साहचर्य प्रविधि-
(1) रोशार्क परीक्षण,
(2) शब्द साहचर्य परीक्षण।
(ख) निर्माण प्रविधियाँ-
(1) अन्तरचेतना परीक्षण,
(2) थामकिन होर्न पिक्चर एरेन्जमेन्ट परीक्षण।
(ग) पूर्ति प्रविधियाँ-
(1) वाक्य पूर्ति परीक्षण,
(2) कहानी पूर्ति परीक्षण |
(घ) चुनाव प्रविधिया-
(1) डोल प्ले परीक्षण,
(2) चित्रकला परीक्षण,
(3) वृन्तचक,
(4) उँगली कलाकृति।
(1) शब्द साहचार्यात्मक विधियाँ - प्रक्षेपी विधियों के अन्तर्गत यह एक प्रमुख विधि है। इसके अन्तर्गत विभिन्न व्यक्तियों को एक शब्द देकर उसकी प्रतिक्रिया जानने का प्रयास करता है। यदि वह शब्द से ईर्ष्या, घृणा या प्रेम प्रकट करता है तो उस रूप में प्रतिक्रिया देते हैं। उदाहरण के लिए, चाकू, शब्द कहने पर उसकी प्रतिक्रिया खून या पेन्सिल भी हो सकती है। कुछ वैज्ञानिकों जैसे वुण्ट, रायटर, जेम्स, कुक आदि ने इन विधियों को जानने का प्रयास किया। इस विधि में उत्तरदाता के प्रति जिस व्यक्ति का परीक्षण किया जाता है उसके व्यक्तित्व का पता शब्दों के माध्यम से लगा लेते हैं।
(2) रोशार्क परीक्षण - इस परीक्षण का निर्माण सन् 1921 में स्विट्जरलैण्ड के मनोचिकित्सक श्री हरमैन रोशार्क ने किया। इसमें रोशार्क महोदय ने स्याही के धब्बों का उपयोग किया। इस विधि में किसी सफेद कागज पर स्याही का धब्बा गिराकर उसे बीच से मोड़ दिया जाता है। कुछ समय पश्चात् उसे खोल देते हैं। इस प्रकार करने से एक चित्र बनकर आता है। यह स्थायी के धब्बे से बना होता है। इसे व्यक्ति को दिखाते हैं तो उसे चित्र के रूप में परिभाषित करते हैं। इस प्रकार करने से व्यक्ति उसे चित्र के रूप में देखता है तथा अपनी प्रतिक्रिया देता है। इससे यह ज्ञात हो जाता है कि वह आन्तरिक से कितना परिपक्व है व उसकी उस धब्बे के प्रति कितने अच्छे स्तर की जानकारी है?
इस परीक्षण में 10 कार्ड होते हैं। ये ये पाँच एक रंग के तथा पाँच दूसरे रंग के होते हैं। इस विधि के प्रयोग द्वारा व्यक्ति के विभिन्न स्तरों को ज्ञात किया जा सकता है। जैसे-
(1) इस परीक्षण द्वारा व्याख्यात्मक वर्णन सम्भव है।
(2) यह परीक्षण व्यक्ति क कल्पना को जागृत करता है।
(3) इसके द्वारा व्यक्ति की भावनात्मक मनोवृत्ति का पता लगाया जा सकता है।
(4) इस परीक्षण के द्वारा संवेगात्मक सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है।
(5) इंस परीक्षण द्वारा व्यक्ति के बौद्धिक स्तर का पता लगाया जा सकता है।
(6) यह परीक्षण मानसिक रोगियों के विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।
(7) इस परीक्षण द्वारा व्यक्तित्व की धारण प्रविधियों का पता लगाया जा सकता है।
इस विधि की कुछ सीमाएँ भी हैं जो निम्न हैं-
(1) यह वैज्ञानिकता का प्रतिपादन नहीं करती है।
(2) यह स्पष्टता को प्रमाणित नहीं करती है।
(3) व्यक्तित्व का निर्धारण उचित प्रकार से प्रस्तुत नहीं कर पाती है।
(4) इसकी व्याख्या सर्वनिष्ठ न होकर व्यक्तिनिष्ठ होती है।
(5) इसकी विश्वसनीयता तथा वैधता का पता लगाना कठिन है।
(3) प्रसंग या अन्तरचेतना का ज्ञान परीक्षण - इसे थेमेटिक एपर सेपसन टेस्ट भी कहा जाता है। इसका प्रतिपादन सन् 1935 ई. में मूरे तथा मोर्गन ने किया था। इसमें व्यक्ति का सामान्य तथा नाड़ियों के ज्ञान का परीक्षण किया जाता है। इस प्रविधि के अन्तर्गत परीक्षणकर्त्ता परीक्षणदाता के सम्मुख कुछ चित्रों का प्रदर्शन करता है तथा उन चित्रों के आधार पर उसे एक कहानी बनाने के लिए कहता है। उत्तरदाता द्वारा बनाई गई कहानी के आधार पर उसका विश्लेषण किया जाता है। इस प्रविधि में मूरे तथा मार्गन महोदय ने 30 चित्रों को सम्मिलित किया है। इसके अन्तर्गत दस चित्र पुरुषों के दस चित्र स्त्रियों को तथा 10 चित्र स्त्रियों तथा पुरुषों दोनों को दिए जाते हैं। इन चित्रों का वर्गीकरण आयु के आधार पर किया जाता है। उत्तरदाता की कहानी के आधार पर उसका विश्लेषण किया जाता है। इस विश्लेषण के आधार पर व्यक्तित्व के गुणों का परीक्षण किया जाता है।
जाता है
(4) भावबोधक प्रविधियाँ - इस प्रविधि के अन्तर्गत अनेक प्रविधियों का समावेश किया
(1) प्ले विधि।
(2) रेखांकन विधि |
(3) अंगुली रेखांकन विधि।
(4) खिलौना निर्माण विधि |
इस विधि के अन्तर्गत सम्बन्धित कार्य करने के लिए या किसी निर्माण के लिए कहा जाता है। जिस तरह से वह निर्माण कार्य करता है। इसमें लगने वाली मनुष्य की संवेगात्मक प्रवृत्ति या उसकी कार्य-शैली ही उसकी आन्तरिक क्रियाओं के निर्माण व अभिव्यक्ति के आधार पर ही उसके व्यक्तित्व का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया जाता है।
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- प्रश्न- मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक मापन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मापन की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की अवधारणा एवं अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए !
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- प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे परीक्षण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- परीक्षण के प्रशासन के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- परीक्षणों में प्रयुक्त प्रश्नों के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- प्रश्नों के उत्तर के फलांकन के आधार पर परीक्षणों का वर्गीकरण, कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण में लगने वाले समय के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
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- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के उद्देश्य बताइए।
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- प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की सीमायें बताइये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की सीमाएँ बताइए।
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- प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के दोष बताइए।
- प्रश्न- प्रक्षेपी विधियाँ किसे कहते हैं? इनका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रक्षेपी विधियों की प्रकृति तथा विशेषताएँ बताइये।
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